मेरे मंत्रिमंडल के सहयोगी श्री मनसुख भाई मंडाविया, श्री धर्मेंद्र प्रधान, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रीगण, महामहिम, विशिष्ट अतिथिगण,
प्रिय मित्रों,
मैं मैरीटाइम इंडिया शिखर सम्मेलन 2021 में आप सभी का स्वागत करता हूं। यह सम्मेलन इस क्षेत्र से जुड़े अनेक हितधारकों को एक साथ लाया है। मुझे विश्वास है कि हम एक साथ मिलकर मैरीटाइम अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने में बड़ी सफलता हासिल करेंगे।
मित्रों,
भारत इस क्षेत्र में स्वभाविक रूप से नेतृत्व भूमिका में है। हमारे देश का मैरीटाइम इतिहास समृद्ध है। हमारे तटों पर सभ्यताएं फली-फूलीं। हजारों वर्ष हमारे बंदरगाह महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र रहे हैं। हमारे तटों ने हमें विश्व से जोड़ा है।
इस मैरीटाइम इंडिया सम्मेलन के माध्यम से मैं विश्व को भारत आने और अपनी विकास यात्रा का हिस्सा बनने का आमंत्रण देता हूं। भारत मैरीटाइम क्षेत्र में विकास के प्रति गंभीर है और विश्व की अग्रणी नीली अर्थव्यवस्था के रूप में उभर रहा है। हमारे प्रमुख फोकस क्षेत्रों में वर्तमान अवसंरचना को उन्नत बनाना, अगली पीढ़ी की अवसंरचना तैयार करना और सुधार कार्यक्रम को बढ़ाना शामिल है। इन कदमों से हम अपने आत्मनिर्भर भारत के विजन को मजबूती दे सकते हैं।
मित्रों,
जब मैं वर्तमान अवसंरचना को उन्नत बनाने की बात करता हूं तब मैं दक्षता में सुधार को बहुत महत्व देता हूं। अलग-अलग रूप में सोचने से पहले हमने संपूर्ण क्षेत्र पर फोकस किया।
और इसके परिणाम दिखाई दे रहे हैं। 2014 में प्रमुख बंदरगाहों की क्षमता प्रतिवर्ष 870 मिलिटन टन थी जोकि बढ़कर अब प्रतिवर्ष लगभग 1550 मिलियन टन हो गई है। यह उत्पादकता लाभ न केवल हमारे बंदरगाहों के लिए सहायक है बल्कि हमारे उत्पादों को अधिक स्पर्द्धी बनाकर समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी सहायक है। अब भारतीय बंदरगाहों के पास डायरेक्ट पोर्ट डिलेवरी, डायरेक्ट पोर्ट इंट्री तथा सहज डेटा प्रवाह के लिए पोर्ट कम्युनिटी सिस्टम जैसी सुविधाएं हैं। हमारे बंदरगाहों ने अंतरगामी तथा निर्गामी कार्गों के लिए प्रतीक्षा समय को कम कर दिया है। हम बंदरगाहों पर भंडारण सुविधा और उद्योगों को आकर्षित करने के लिए प्लग एंड प्ले अवसंरचना तैयार करने में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहे हैं। बंदरगाह सतत ड्रेजिंग तथा घरेलू शिप रिसाइक्लिंग के माध्यम से अपशिष्ट को धन में प्रोत्साहित करेंगे। हम बंदरगाह क्षेत्र में निजी निवेश को प्रोत्साहन देंगे।
मित्रों,
दक्षता के साथ-साथ कनेक्टविटी बढ़ाने की दिशा में काफी काम हो रहे हैं। हम अपने बंदरगाहों को तटीय आर्थिक क्षेत्रों, बंदरगाह आधारित स्मार्ट सिटी तथा औद्योगिक पार्कों से एकीकृत कर रहे हैं। इससे औद्योगिक निवेश बढ़ेगा और बंदरगाह के निकट वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग गतिविधि को प्रोत्साहन मिलेगा।
मित्रों,
जहां तक नई अवसंरचना की बात है, मुझे यह बताने में खुशी हो रही है कि वधावन, पारादीप तथा कांडला के दीनदयाल बंदरगाह पर विश्वस्तरीय संरचना से मेगा बंदरगाह विकसित किए जा रहे हैं। हमारी सरकार जलमार्गों में निवेश कर रही है। ऐसा पहले कभी नहीं देखा गया था। घरेलू जल मार्ग लागत सक्षम और माल परिवहन का पर्यावरण अनुकूल मार्ग है। हमारा उद्देश्य 2030 तक 23 जलमार्गों को चालू करने का है। ऐसा हम अवसंरचना बढ़ाकर, फेयरवे विकास, नेविगेश्नल सहायता तथा नदी सूचना प्रणाली प्रावधानों से कर सकते हैं। कारगर क्षेत्रीय व्यापार और सहयोग के लिए बांगलादेश, नेपाल, भूटान तथा म्यांमार के साथ क्षेत्रीय कनेक्टविटी के लिए पूर्वी जलमार्ग कनेक्टविटी ट्रांस्पोर्ट ग्रिड को मजबूत बनाया जाएगा।
मित्रों,
नई मैरीटाइम अवसरंचना जीवन की सुगम्यता को प्रोत्साहित करने का बड़ा साधन है। रो-रो तथा रो-पैक्स परियोजनाएं नदियों के उपयोग के लिए हमारे विजन के महत्वपूर्ण तत्व हैं। वाटरड्रोम 16 स्थानों पर विकसित किए जा रहे हैं ताकि सी-प्लेन संचालन सक्षम हो सके। पांच राष्ट्रीय राजमार्गों पर रिवर क्रूज टर्मिनल इंफ्रास्ट्रक्चर तथा जेट्टी विकसित की जा रही हैं।
मित्रों,
हमारा उद्देश्य 2023 तक अवसंरचना विकास के माध्यम से चयनित बंदरगाहों पर घरेलू तथा अंतर्राष्ट्रीय समुद्री पर्यटन टर्मिनल विकसित करना है। भारत के पास अपने तटीय क्षेत्रों में 189 लाइटहाउस हैं। हमने 78 लाइटहाउस के निकट पर्यटन विकसित करने के लिए कार्यक्रम बनाए हैं। इस पहल का प्रमुख उद्देश्य वर्तमान लाइटहाउस के विकास को बढ़ाना और आसपास के क्षेत्रों को अनूठा मैरीटाइम पर्यटन चिन्ह बनाना है। कोच्चि, मुंबई, गुजरात और गोवा जैसे प्रमुख राज्यों और शहरों में शहरी जल परिवहन प्रणाली लागू करने के कदम उठाए जा रहे हैं।
मित्रों,
सभी क्षेत्रों की तरह मैरीटाइम क्षेत्रों में भी हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि कोई काम रूके नहीं। हमने जहाजरानी मंत्रालय का नाम बंदरगाह, जहाजरानी तथा जलमार्ग मंत्रालय में बदलकर दायरे को बढ़ा दिया है। अब मंत्रालय मैरीटाइम शिपिंग तथा नेविगेशन तथा मर्केंटाइल मरीन के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण जहाज निर्माण तथा जहाज मरम्मत उद्योग, जहाज विखंडन, फिशिंग जहाज उद्योग तथा फ्लोटिंग क्राफ्ट उद्योग में उत्कृष्टता का प्रयास करेगा।
मित्रों,
बंदरगाह जहाजरानी तथा जल मार्ग मंत्रालय ने निवेश करने योग्य 400 परियोजनाओं की सूची बनाई है। इन परियोजनाओं में 31 बिलियन डॉलर यानी 2.25 लाख करोड़ रुपए का निवेश संभव है। इससे हमारे मैरीटाइम क्षेत्र के समग्र विकास के लिए हमारा संकल्प और मजबूत होगा।
मित्रों,
मैरीटाइम इंडिया विजन 2030 लांच किया गया है। इसमें सरकार की प्राथमिकताएं बताई गई हैं। सागर मंथनः मर्केंटाइल मैरीन डोमेन जागरूकता केंद्र भी आज लांच किया गया है। यह मैरीटाइम सुरक्षा, तलाशी तथा बचाव क्षमताओँ को बढ़ाने, सुरक्षा तथा मरीन पर्यावरण संरक्षण बढ़ाने के लिए सूचना प्रणाली है। सरकार ने 2016 में बंदरगाहमुखी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए सागर माला परियोजना की घोषणा की थी। कार्यक्रम के हिस्से के रूप में 82 बिलियन डॉलर यानी 6 लाख करोड़ रुपए मूल्य की 574 परियोजनाओं को 2015 से 2035 के दौरान लागू करने के लिए चिन्हित किया गया है।
मित्रों,
भारत सरकार घरेलू शिप निर्माण तथा जहाज मरम्मत बाजार पर भी फोकस कर रही है। घरेलू जहाज निर्माण को प्रोत्साहन देने के लिए हमने भारतीय शिपयार्ड के लिए जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति की स्वीकृति दी है। घरेलू जहाज रिसाइक्लिंग उद्योग को भी प्रोत्साहित किया जाएगा ताकि अपशिष्ट से धन सृजन हो सके। भारत ने जहाज रिसाइक्लिंग अधिनियम 2019 बनाया है और हांगकांग अंतर्राष्ट्रीय समझौते पर सहमति व्यक्त की है।
मित्रों,
हम विश्व के साथ अपने श्रेष्ठ व्यवहारों को साझा करना चाहते हैं। हम वैश्विक श्रेष्ठ व्यवहारों से सीखना भी चाहते हैं। बिम्सटेक तथा आईओआर देशों के साथ व्यापार और आर्थिक संपर्कों पर फोकस जारी रखते हुए भारत अवसंरचना में निवेश बढ़ाने तथा 2026 तक पारस्परिक समझौते करने की योजना बना रहा है। भारत सरकार ने द्वीप अवसंरचना तथा ईकोसिस्टम के समग्र विकास का काम भी प्रारंभ किया है। हम मैरीटाइम क्षेत्र में ऊर्जा के नवीकरणीय साधनों के उपयोग को प्रोत्साहित करना चाहते हैं। हम देश के सभी प्रमुख बंदरगाहों पर सौर तथा पवन आधारित विद्युत प्रणाली स्थापित करने की प्रक्रिया में हैं। हमारा उद्देश्य भारतीय बंदरगाहों पर तीन चरणों में 2030 तक नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग कुल ऊर्जा के 60 प्रतिशत से अधिक करना चाहते हैं।
मित्रों,
भारत के समुद्री तट आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। भारत की परिश्रमी जनता आपका इंतजार कर रही है। हमारे बंदरगाहों में निवेश कीजिए। भारत को अपना पसंदीदा व्यापार स्थल बनाइए। व्यापार और वाणिज्य के लिए भारत के बंदरहागों को अपना बंदरगाह बनाइए। शिखर सम्मेलन को मेरी शुभकामनाएं। विचार-विमर्श व्यापक और उपयोगी होने की शुभकामनाएं।
धन्यवाद!
बहुत बहुत धन्यवाद!
Prime Minister Shri Narendra Modi today inaugurated ‘Maritime India Summit 2021’ through video conferencing. Minister of Transport of Denmark Mr Benny Englebrecht, Chief Ministers of Gujarat and Andhra Pradesh, Union Ministers Shri Dharmentdra Pradhan and Shri Mansukh Mandaviya were present on the occasion.
Speaking on the occasion, the Prime Minister invited the world to come to India and be a part of India’s growth trajectory. India is very serious about growing in the maritime sector and emerging as a leading Blue Economy of the world. Through the focus areas of upgradation of infrastructure, boosting reform journey, India aims to strengthen the vision of Aatamnirbhar Bharat, he said.
He noted that instead of a piecemeal approach focus is on the entire sector as one. He informed that capacity of major ports have increased from 870 million tonnes in 2014 to 1550 million tonnes now. Indian ports now have measures such as: Direct port Delivery, Direct Port Entry and an upgraded Port Community System (PCS) for easy data flow. Our ports have reduced waiting time for inbound and outbound cargo. He also informed that mega ports with world class infrastructure are being developed in Vadhavan, Paradip and Deendayal Port in Kandla.
The Prime Minister asserted that “Ours is a Government that is investing in waterways in a way that was never seen before. Domestic waterways are found to be cost effective and environment friendly ways of transporting freight. We aim to operationalise 23 waterways by 2030.” He also pointed out that India has as many as 189 lighthouses across its vast coastline. “We have drawn up a programme for developing tourism in the land adjacent to 78 lighthouses. The key objective of this initiative is to enhance development of the existing lighthouses and its surrounding areas into unique maritime tourism landmarks”, Shri Modi informed. He announced that steps are also being taken to introduce urban water transport systems in key states and cities such as Kochi, Mumbai, Gujarat and Goa.
The Prime Minister said that the Government has recently widened the ambit of the maritime sector by renaming the Ministry of Shipping as Ministry of Ports, Shipping and Waterways so that work happens in a holistic manner. The Government of India is also focusing on the domestic ship building and ship repair market. To encourage domestic shipbuilding approval has been given to the Shipbuilding Financial Assistance Policy for Indian Shipyards.
The Prime Minister informed that the Ministry of Port Shipping and Waterways has created a list of 400 investable projects. These projects have an investment potential of $ 31 billion or Rs 2.25 lakh crores. Talking about the Maritime India Vision 2030, The Prime Minister said It outlines the priorities of the Government.
The Sagar-Manthan: Mercantile Marine Domain Awareness Centre has also been launched today. It is an information system for enhancing maritime safety, search and rescue capabilities, security and marine environment protection.
The Sagarmala project for promoting port led development was announced by the Government in 2016. As part of the Programme, more than 574 projects at a cost of 82 billion US Dollars or Rs 6 lakh crores have been identified for implementation during 2015 to 2035. Ship repair clusters will be developed along both coasts by 2022. Domestic ship recycling industry will also be promoted to create ‘Wealth from Waste’. India has enacted Recycling of Ships Act, 2019 and agreed to the Hong Kong International Convention.
The Prime Minister expressed the desire to share our best practices with the world and also the openness to learning from global best practices. Continuing with India’s focus on trade and economic linkages with the BIMSTEC and IOR nations, India plans to enhance investment in infrastructure and facilitate mutual agreements by 2026, he said.
The Prime Minister said that the Government has initiated holistic development of island infrastructure and ecosystem. He added that the Government is keen to promote the use of renewable energy in the maritime sector. He said the Government is in the process of installing solar and wind-based power systems at all the major ports across the country and aims to increase usage of renewable energy to more than 60% of total energy by 2030 in three phases across Indian ports.
The Prime Minister concluded with exhortation to the global investors “India’s long coastline awaits you. India’s hardworking people await you. Invest in our ports. Invest in our people. Let India be your preferred trade destination. Let Indian ports be your port of call for trade and commerce.”
‘கடல்சார் இந்தியா உச்சி மாநாடு 2021-ஐ’ பிரதமர் நரேந்திர மோதி, இன்று காணொலி மூலம் தொடங்கி வைத்தார். டென்மார்க் போக்குவரத்து துறை அமைச்சர் பென்னி எங்லேபிரெக்ட், குஜராத் மற்றும் ஆந்திர முதல்வர்கள், மத்திய அமைச்சர்கள் தர்மேந்திர பிரதான், மன்சுக் மாண்டவியா ஆகியோர் இந்நிகழ்ச்சியில் கலந்து கொண்டனர்.
இந்நிகழ்ச்சியில் பேசிய பிரதமர், இந்தியாவின் வளர்ச்சிப் பாதையில், உலக நாடுகள் பங்கேற்க வேண்டும் என அழைப்பு விடுத்தார். கடல்சார் துறையில் வளர்ச்சியடைவதிலும், உலகின் கடல் பொருளாதாரத்தில் முன்னணி நாடாக உருவாவதிலும் இந்தியா மிகத் தீவிரமாக உள்ளது. உள்கட்டமைப்பை மேம்படுத்துவது, சீர்திருத்தத்தை ஊக்குவிப்பது போன்றவற்றில் கவனம் செலுத்துவதன் மூலம், தற்சார்பு இந்தியா தொலைநோக்கை வலுப்படுத்துவதை இந்தியா நோக்கமாக கொண்டுள்ளது என அவர் கூறினார்.
தனித்தனியான அணுகுமுறைக்கு பதிலாக, ஒட்டுமொத்த துறை மீது கவனம் செலுத்தப்படுவதாக அவர் குறிப்பிட்டார். முக்கிய துறைமுகங்களின் திறன், கடந்த 2014-ம் ஆண்டில் 870 மில்லியன் டன்களாக இருந்தது. இது தற்போது 1550 மில்லியன் டன்களாக அதிகரிக்கப்பட்டுள்ளது. எளிதான தரவுக்காக, நேரடி துறைமுக விநியோகம், நேரடி துறைமுக நுழைவு மற்றும் மேம்படுத்தப்பட்ட துறைமுக சமுதாய அமைப்பு போன்ற நடவடிக்கைகளை, தற்போது இந்திய துறைமுகங்கள் கொண்டுள்ளன. நமது துறைமுகங்கள் சரக்கு கப்பல்களின் காத்திருப்பு நேரத்தைக் குறைத்துள்ளன. வதாவன், பாரதீப் மற்றும் கண்டலாவில் தீன்தயாள் துறைமுகம் ஆகியவற்றில் உலகத் தரத்திலான கட்டமைப்புகள் உருவாக்கப்படுகின்றன என அவர் கூறினார்.
‘‘நீர்வழிப் போக்குவரத்தில், இதற்கு முன் இல்லாத வகையில் நமது அரசு முதலீடு செய்கிறது. உள்நாட்டு நீர்வழிப் போக்குவரத்து மலிவாகவும், சரக்குகளைக் கொண்டு செல்வதில் சுற்றுச்சூழலுக்கு உகந்ததாகவும் இருக்கும். 2030-ம் ஆண்டுக்குள் 23 நீர்வழிப் போக்குவரத்தை செயல்படுத்த நாங்கள் இலக்கு நிர்ணயித்துள்ளோம்’’ என பிரதமர் உறுதிபடக் கூறினார்.
இந்தியா தனது கடலோரப் பகுதியில் 189 கலங்கரை விளங்கங்களைக் கொண்டுள்ளது என அவர் குறிப்பிட்டார். “78 கலங்கரை விளக்கங்கங்களுக்கு அருகில் உள்ள நிலப்பகுதியில் சுற்றுலாவை மேம்படுத்தும் திட்டத்தை நாங்கள் உருவாக்கியுள்ளோம். இந்த முயற்சியின் முக்கிய நோக்கம், தற்போதுள்ள கலங்கரை விளக்கங்கள் மற்றும் அதனைச் சுற்றியுள்ள பகுதிகளை தனிச்சிறப்பான கடல்சார் சுற்றுலா அடையாளங்களாக மேம்படுத்துவதாகும் என நரேந்திர மோதி தெரிவித்தார். முக்கிய மாநிலங்கள் மற்றும் கொச்சி, மும்பை, குஜராத் மற்றும் கோவா ஆகிய நகரங்களில் நகர்ப்புற நீர்வழிப் போக்குவரத்து முறையை அறிமுகப்படுத்துவதற்கான முயற்சிகள் எடுக்கப்படுகின்றன என அவர் அறிவித்தார்.
கப்பல் போக்குவரத்து அமைச்சகத்தின் பெயரை, துறைமுகங்கள், கப்பல் போக்குவரத்து மற்றும் நீர்வழிப் போக்குவரத்து அமைச்சகம் என பெயர் மாற்றியதன் மூலம் கடல்சார் துறையின் வரம்பை அரசு விரிவாக்கியுள்ளது, அப்போதுதான் பணிகள் முழு அளவில் நடக்கும் என பிரதமர் கூறினார். உள்நாட்டில் கப்பல் கட்டுதல் மற்றும் கப்பல் பழுதுபார்க்கும் சந்தையை உருவாக்குவதில் மத்திய அரசு கவனம் செலுத்துகிறது. உள்நாட்டில் கப்பல் கட்டுதலை ஊக்குவிக்க, இந்திய கப்பல்கட்டும் தளங்களுக்கான, கப்பல் கட்டுமான நிதி உதவி கொள்கைக்கு ஒப்புதல் அளிக்கப்பட்டுள்ளது.
துறைமுகங்கள், கப்பல் போக்குவரத்து மற்றும் நீர்வழிப் போக்குவரத்து அமைச்சகம் 400 முதலீட்டுத் திட்டங்களுக்கான பட்டியலை உருவாக்கியுள்ளது என பிரதமர் கூறினார். இந்தத் திட்டங்கள் ரூ.2.25 லட்சம் கோடி முதலீட்டு திறன் கொண்டவை. கடல்சார் இந்தியா தொலைநோக்கு 2030, மத்திய அரசின் முன்னுரிமைகளை எடுத்து கூறுவதாக பிரதமர் கூறினார்.
தி சாகர்-மந்தன்: வணிக கடல்சார் தளம் விழிப்புணர்வு மையம் இன்று தொடங்கப்பட்டுள்ளது. இது கடல்சார் பாதுகாப்பு, தேடல் மற்றும் மீட்பு திறன்கள், பாதுகாப்பு மற்றும் கடல் சுற்றுச்சூழல் பாதுகாப்பு ஆகியவற்றை மேம்படுத்துவதற்கான ஒரு தகவல் அமைப்பாகும்.
துறைமுகம் மூலமான வளர்ச்சிக்கு சாகர்மாலா திட்டத்தை கடந்த 2016-ம் ஆண்டு மத்திய அரசு அறிவித்தது. இத்திட்டத்தின் ஒரு பகுதியாக, 2015ம் ஆண்டு முதல் 2035ம் ஆண்டு வரை 574-க்கு மேற்பட்ட திட்டங்கள் ரூ.6 லட்சம் கோடி மதிப்பில் மேற்கொள்ள அடையாளம் காணப்பட்டுள்ளன. 2022-ம் ஆண்டுக்குள் இரு கடலோரப் பகுதியிலும், கப்பல் பழுதுபார்க்கும் மையங்கள் உருவாக்கப்படும். இரும்பு கழிவுகளில் இருந்து மீண்டும் பொருட்கள் தயாரிக்க, உள்நாட்டு கப்பல் மறுசுழற்சி தொழிற்சாலைகளும் உக்குவிக்கப்படும். இதற்காக கப்பல் மறுசுழற்சி சட்டம் 2019ஐ, இந்தியா கொண்டு வந்தது, ஹாங்காங் சர்வதேச ஒப்பந்தத்துக்கும் ஒப்புக் கொண்டது.
நமது சிறந்த நடைமுறைகளை உலக நாடுகளுடன் பகிர்ந்து கொள்ள வேண்டும் மற்றும் உலகின் சிறந்த நடைமுறைகளை நாம் திறந்த மனதுடன் கற்றுக் கொள்ள வேண்டும் என பிரதமர் தனது விருப்பத்தை வெளிப்படுத்தினார்.
பிம்ஸ்டெக் மற்றும் இந்தியப் பெருங்கடல் பகுதி நாடுகளுடனான வர்த்தகம் மற்றும் பொருளாதார உறவுகளில் கவனம் செலுத்துவதன் தொடர்ச்சியாக, 2026ம் ஆண்டுக்குள் உள்கட்டமைப்பில் முதலீடு மற்றும் இருதரப்பு ஒப்பந்தங்களை அதிகரிக்க இந்தியா திட்டமிட்டுள்ளது என அவர் கூறினார்.
தீவு உள்கட்டமைப்பு மற்றும் சுற்றுச்சூழல் அமைப்பின் முழுமையான வளர்ச்சியை அரசு தொடங்கியுள்ளது என்று பிரதமர் கூறினார். கடல்சார் துறையில் புதுப்பிக்கத்தக்க எரிசக்தி பயன்பாட்டை ஊக்குவிக்கவும் அரசு ஆர்வமாக உள்ளது என அவர் மேலும் தெரிவித்தார். நாடு முழுவதும் உள்ள முக்கிய துறைமுகங்களில், சூரிய மின்சக்தி மற்றும் காற்றாலை மின்சக்தி ஆகியவற்றை நிறுவும் நடவடிக்கையில் அரசு ஈடுபட்டுள்ளது என்றும், இந்திய துறைமுகங்களில் 2030-ம் ஆண்டுக்குள், 3 கட்டங்களாக மொத்த எரிசக்தியில் 60 சதவீதத்துக்கும் மேல் புதுப்பிக்கத்தக்க எரிசக்தி பயன்பாட்டை அதிகரிக்க இலக்கு நிர்ணயித்துள்தாகவும் அவர் கூறினார்.
‘‘இந்தியாவின் நீண்ட கடற்கரையும், உங்களுக்காக காத்திருக்கிறது, இந்தியாவின் உழைப்பாளிகளும் உங்களுக்காக காத்திருக்கின்றனர், எங்கள் துறைமுகங்களில் முதலீடு செய்யுங்கள், எங்கள் மக்கள் மீது முதலீடு செய்யுங்கள், வர்த்தகத்துக்கு நீங்கள் தேர்வு செய்யும் இடமாக இந்தியா இருக்கட்டும். உங்களின் வர்த்தகத்துக்கு அழைப்பு விடுக்கும் துறைமுகமாக இந்திய துறைமுகங்கள் இருக்கட்டும்’’ என உலக முதலீட்டாளருக்கு வேண்டுகோள் விடுத்து பிரதமர் நரேந்திர மோதி தனது உரையை நிறைவு செய்தார்.
–டாக்டர்.துரைபெஞ்சமின்
Editor and Publisher
UTL MEDIA TEAM
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