விவசாயிகள் தற்கொலை மற்றும் ஜி.எஸ்.டி. குறித்து காங்கிரஸ் செயலாளர் மணிஸ் திவாரி பேட்டி!- வீடியோ.

Manish Tewari

காங்கிரஸ் செயலாளர் மணிஸ் திவாரி.

श्री मनीष तिवारी ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश में वर्ष 2016 में 1600 किसानों ने आत्महत्या की थी। वर्ष 2011 और 2015 के बीच मध्यप्रदेश में 6 हजार 76 किसानों ने आत्महत्या की है।1,600 farmers committed suicide in the year 2016. 6,076 farmers committed suicide between the year 2011 and 2015.ये आंकड़े हमारे नहीं है, ये नेशनल क्राईम रिकोर्ड ब्यूरो के आंकड़े हैं और इन सब वर्षों में मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी और अभी भी है। पिछले दिनों आप सबको अच्छी तरह से ज्ञात है कि किस तरह से 6 किसानों को उसी प्रदेश में पुलिस की गोलियों से भून दिया गया और भारत के माननीय कृषि मंत्री जो कम ही बोलते हैं, उन्होंने अपना वक्तव्य दिया है और वो कहते हैं-Shri Radha Mohan Singh said that no State has done as much for farmers as Madhya Pradesh.

किसी प्रदेश की किसी सरकार ने किसानों के लिए उतना नहीं किया जितना मध्यप्रदेश ने किया है। इससे बड़ी असंवेदनशीलता और क्या हो सकती है? ऐसा शर्मनाक बयान जिसकी कड़े से कड़े शब्दों में भी निंदा की जाए वो कम है। भारत के कृषि मंत्री के पास समय नहीं था कि ये मंदसौर जाते और जो किसान भाजपा सरकार की गोलियों द्वारा भूने गए, उनके परिवार के पास जाकर सांत्वना व्यक्त करते उसके विपरीत भारत के कृषि मंत्री क्या बयान दे रहे हैं कि किसानों के लिए मध्यप्रदेश से बढिया कोई सरकार नहीं हो सकती। अगर ये बढिया है तो हमें नहीं मालूम कि उनकी घटिया की परिभाषा क्या है?

एक तरफ तो मध्यप्रदेश है और भारत के कृषि मंत्री हैं और दूसरी तरफ उसी भाजपा की राजस्थान में सरकार है और उस राजस्थान में जो खाद्यान सुरक्षा कानून है, फूड सिक्योरिटी एक्ट, उसके तहत जिन लोगों को कानूनी हक द्वारा राशन उपलब्ध कराया जाता है, उनके घर के बाहर राजस्थान की सरकार ने इश्तिहार पेंट करवाए हैं और उसमें लिखवाया है कि मैं अत्यंत गरीब हूं और इसलिए मैं सरकार की चैरिटी का पात्र हूं। ऐसा घिनौना मजाक इस तरह से भारत की गरीब जनता को जलील करना, इससे बड़ी और कोई त्रासदी नहीं हो सकती।

राजस्थान की सरकार या किसी भी प्रदेश की सरकार अगर खाद्यान सुरक्षा कानून के तहत राशन उपलब्ध कराती है, ये उनका कानूनी हक है, कोई खैरात नहीं है जो भाजपा की सरकार बांट रही है और इस चीज से एक बात बिल्कुल साफ तौर से निश्चित होती है कि भारतीय जनता पार्टी की जो सरकार है चाहे वो केन्द्र में हो, चाहे उनकी राज्य सरकारें हों, ये सरकारों किसान विरोधी हैं, गरीब विरोधी हैं और सिर्फ बड़े मालदार पूंजिपतियों की मदद करने में विश्वास रखती हैं। गरीब जनता का, किसानों का, ये भाजपा मजाक उडाती हैं, उनके हक के साथ खिलवाड़ करती हैं और समय आने पर देश की जनता द्वारा इनको जरुर उचित जवाब मिलेगा। जहाँ तक भारत के कृषि क्षेत्र का ताल्लुक है जब-जब भाजपा की केन्द्र में सरकार रही है, तब-तब कृषि क्षेत्र की हालत बद से बदतर हुई है।

हम आपको याद दिलाना चाहते हैं कि पिछले 4 दशकों में शायद एक ही ऐसा साल है जब कृषि की वृद्धि दर नकारात्मक रहा है और वो वर्ष 2001 था, जब केन्द्र में भाजपा की सरकार थी और कृषि की वृद्धि दर उस समय -2.2 प्रतिशत थी। इसी तरह से वर्ष 2015-2016 में कृषि क्षेत्र सिर्फ 1.2 प्रतिशत की वृद्धि दर से बढ़ा था। कुल मिलाकर भाजपा और NDA सरकार जब – जब सत्ता में आती है, सबसे ज्यादा भारत का किसान, भारत का मेहनतकश मजदूर और भारत का युवा पिसता है।

जम्मू-कश्मीर में पुलिस कर्मियों की हालत एवं सरकार द्वारा उनकी मांगों को पूरा नहीं कर पाने के बारे में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में श्री तिवारी ने कहा कि इससे जुड़ा हुआ एक और सवाल है। आज कई अखबारों में खबर छपी है कि एक सूचना के अधिकार की याचिका के जवाब में केन्द्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स ने ये जवाब दिया है कि जो CRPF के जवान सुकमा में मारे गए थे नक्सलवादियों के द्वारा, उनके कोई मानवाधिकार का हनन नहीं हुआ है और इसलिए उस सूचना के अधिकार की याचिका है उसका जवाब नहीं देना चाहते। ये बहुत ही गंभीर मामला है क्योंकि वर्ष 1990 या उससे पहले से भारत का ये मानना रहा है और सरकार किसी की भी रही हो, अंतर्राष्ट्रीय फोरम पर भी हमने इस बात को उठाया है कि जो सेना के जवान हैं, पैरामिलिट्री फोर्सिस है, सुरक्षाकर्मी हैं उनके भी मानवाधिकार हैं और उनके मानवाधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। तो हम इस सरकार से जानना चाहते हैं, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से जानना चाहते हैं कि जो भारत के सैनिक जिनका सर काटा जाता है या जो भारत के अर्धसैनिक बल जिनके जवान सुकमा में या बाकि ऐसे  आतंकवादियों से लड़ते हुए शहीद होते हैं क्या इस सरकार का मानना है कि उनसे उनके मानवाधिकारों का हनन नहीं होता? तो हम सरकार से ये जानना चाहते हैं कि CRPF ने जो स्टैंड लिया है, वो सरकार का, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का भी स्टैंड है? इसके साथ –साथ जहाँ तक आपके सवाल का ताल्लुक है – सरकार का जरुर उत्तरदायित्व बनता है, जिन सैनिकों को हम भेजते हैं भारत की सुरक्षा, एकता और अखंडता की रक्षा करने के लिए उनको जो भी इन्फ्रास्ट्रक्चर चाहिए या सामान चाहिए, वो जरुर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

On a question on GST campaign it is endorsed by a celebrity while the Traders’ community is not satisfied with the same, Shri Tewari said the Goods and Services Tax will be implemented from the 1st of July 2017. The impact of any tax or the true index of the impact of any tax is the people of India. So, therefore, let us wait for the 1st of July 2017 and its succeeding weeks and months and everything will become clear.

On being asked on the candidate of Congress Party for Presidential Polls,  Shri Tewari said that I think this is hypothetical and I would not be in a position to answer it and the reason why I am saying so is because the Presidentship of India is possibly the Highest Constitutional Office in the country. The President of India, unlike other functionaries, actually swears an oath to protect and defend the Constitution of India. There are only two people under the Indian Constitutional scheme who swear that oath i.e. is the President of India and the respective Governors of the various States. Everybody else swears an ‘Oath of Allegiance’ to the Constitution of India. So, therefore, given the fact that we are talking about the Highest Constitutional Office in the country and there are opposition parleys which are undergoing, it would be inappropriate for me to second guess it. I think after the opposition parties’ meet tomorrow, there will be a far clear, coherent and an articulate answer available.

On the question what are the apprehensions on the rollout of GST, Shri Tewari said the Congress party or the UPA Government was actually the initiator of GST and those who are claiming credit for GST today, they should go and read the former PM Dr. Manmohan Singh’s Press Conference in January 2011 where he had categorically stated that some opposition parties are holding GST to ransom primarily because they want criminal cases against some of their leaders to be withdrawn.
This is the former PM of India on record in a Press Conference. So, it is a bit of oxymoron that those who are claiming credit that they have brought the GST are actually the ones who opposed and derailed the implementation of the GST. So, insofar as the GST is concerned, we have no difficulty with it. We have supported it and because of our support, the GST has becomes reality. Yes, there are concerns with regard to implementation, those concerns have been articulated and expressed by Economists, by various other responsible people who understand fiscal policy and taxation structure.
 
So, under those circumstances, let us wait and see as to what happens after the 1st of July 2017. The proof of the pudding is in the eating. Celebrity endorsements are not going to help roll out or the implementation of the GST. What is really going to be the test of the GST is its impact on the common people.
On the question as to how the Government should react to the statement of the Secretary General of UN on India-Pakistan, Shri Tewari said it is for the Government to react to it. It is for the Government to clarify one way or the other. If there is something which is attributed to the Secretary General of the United Nations, then obviously it is for the Government to clarify as to what is being said. Is it correct or is it incorrect? And if it is incorrect then the Government should explain its position clearly and unambiguously.
-எஸ்.சதிஸ் சர்மா.