नमस्कार !
केरल के राज्यपाल, आरिफ मोहम्मद खान जी, कर्नाटक के राज्यपाल वजूभाई वाला जी, केरला के मुख्यमंत्री श्री पिनाराई विजयन जी, कर्नाटका के मुख्यमंत्री श्री बी. एस. येदियुरप्पा जी, केंद्रीय मंत्रिमंडल में मेरे सहयोगी श्री धर्मेंद्र प्रधान जी, प्रल्हाद जोशी जी, वी. मुरलीधरन जी, सांसद गण, विधायक गण, भाइयों और बहनों,
It is an honour to dedicate the 450 kilometer Kochi-Mangaluru natural gas pipeline to the nation. This is an important day for India, specially for the people of Kerala and Karnataka. These two states are being connected by a Natural Gas pipeline. I congratulate to people of these states. Congratulations also to all stake-holders for taking steps to providing clean energy infrastructure. The pipeline will have a positive impact on the economic growth of these two states.
साथियों,
कोच्चि मेंगलुरु पाइपलाइन इस बात का बहुत बड़ा उदाहरण है कि विकास को प्राथमिकता देते हुए, सभी मिलकर काम करें, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। ये प्रोजेक्ट से जुड़े लोग जानते हैं कि इंजीनियरिंग के लिहाज़ से इसे पूरा करना कितना मुश्किल था। प्रोजेक्ट में अन्य दिक्कतें भी आईं। लेकिन हमारे श्रमिकों, हमारे जीनियरों, हमारे किसानों और राज्य सरकारों के सहयोग से ये पाइपलाइन पूरी हुई। कहने को ये सिर्फ एक पाइपलाइन है, लेकिन दोनों राज्यों के विकास को गति देने में इसकी बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। क्यों आज देश Gas Based economy पर इतना बल दे रहा है? क्यों, वन नेशन, वन गैस ग्रिड, पर इतनी तेजी से काम हो रहा है? क्यों आत्मनिर्भर भारत के लिए Gas Based economy का तेजी से विस्तार बहुत जरूरी है? वो सिर्फ इस एक पाइपलाइन के फायदों से समझ जाएगा।
पहला- ये पाइपलाइन दोनों राज्यों में लाखों लोगों के लिए Ease of Living बढ़ाएगी। दूसरा- ये पाइपलाइन दोनों ही राज्यों के गरीब, मध्यमवर्ग और उद्यमियों का खर्च कम करेगी। तीसरा- ये पाइपलाइन अनेक शहरों में City Gas Distribution System उसका एक माध्यम बनेगी। चौथा- ये पाइपलाइन अनेक शहरों में CNG आधारित ट्रांसपोर्ट सिस्टम को डवलप करने का आधार बनेगी। पांचवा- ये पाइपलाइन मैंगलोर केमिकल और फर्टिलाइजर प्लांट को ऊर्जा देगी, कम खर्च में खाद बनाने में मदद करेगी, किसान को मदद करेगी। छठा- ये पाइपलाइन मैंगलोर रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल को ऊर्जा देगी, उन्हें स्वच्छ ईंधन देगी। सातवां- ये पाइपलाइन दोनों ही राज्यों में प्रदूषण कम करने में बड़ी भूमिका निभाएगी। आठवां- प्रदूषण कम होने का सीधा असर होगा पर्यावरण पर, जितनी कार्बन डाय ऑक्साइड का एमिशन इससे कम होगा, वो लाखों पेड़ लगाने के बाद ही हासिल हो सकता है।
साथियों,
नवां लाभ ये कि पर्यावरण बेहतर होने से लोगों की सेहत भी अच्छी रहेगी, बीमारी पर होने वाला उनका खर्च भी कम होगा। दसवां- जब प्रदूषण कम होगा, हवा साफ-सुथरी होगी, शहर में गैस आधारित व्यवस्थाएं होंगी तो और ज्यादा टूरिस्ट आएंगे, टूरिज्म सेक्टर को भी इसका लाभ होगा और साथियों, इस पाइपलाइन के दो और लाभ हैं जिनकी चर्चा बहुत जरूरी है। इस पाइपलाइन के निर्माण के दौरान 12 लाख Man Days का रोज़गार Generate हुआ है। पाइपलाइन के शुरू होने के बाद भी रोजगार और स्वरोजगार का एक नया इकोसिस्ट्म केरला और कर्नाटका में बहुत तेजी से विकसित होगा। फर्टिलाइज़र उद्योग हों, पेट्रोकेमिकल उद्योग हों, बिजली उद्योग हों, हर उद्योग इससे लाभ लेगा और रोजगार के अवसर बनेंगे।
साथियों,
इस पाइपलाइन का एक और बड़ा लाभ पूरे देश को होगा। जब ये पाइपलाइन पूरी क्षमता से काम करना शुरू कर देगी तो देश की हजारों करोड़ की विदेशी मुद्रा खर्च होने से भी बचेगी। भारत Cop-21 के लक्ष्यों को लेकर जिस गंभीरता से काम कर रहा है, ये प्रयास हमें उसमें भी मदद करेंगे।
साथियों,
दुनिया भर के एक्सपर्ट्स का कहना है कि 21वीं सदी में जो भी देश, अपनी कनेक्टिविटी पर और क्लीन एनर्जी पर सबसे ज्यादा जोर देगा, तेजी से काम करेगा, वो तेजी से नई ऊंचाई पर पहुंचेगा। आज आप जिस भी फ्रंट पर देखें, हाइवे कनेक्टिविटी, रेलवे कनेक्टिविटी, मेट्रो कनेक्टिविटी एयर कनेक्टिविटी, वॉटर कनेक्टिविटी, डिजिटल कनेक्टिविटी, या फिर गैस कनेक्टिविटी, भारत में जितना काम अभी हो रहा है, एक साथ सभी क्षेत्रों में उतना पहले कभी नहीं हुआ। एक भारतीय के तौर पर ये हम सभी का सौभाग्य है, कि हम ये होते हुए अपने आंखों से देख रहे हैं, हम सभी विकास के इस नए आंदोलन का हिस्सा हैं।
भाइयों और बहनों,
पिछली शताब्दी में भारत जिस भी रफ्तार से चला, उसकी अपनी वजहें रही हैं। मैं उनके विस्तार में नहीं जाना चाहता। लेकिन इतना तय है कि आज का युवा भारत, दुनिया पर छा जाने के लिए अधीर भारत, अब धीरे नहीं चल सकता। इसलिए ही बीते वर्षों में देश ने Speed भी बढ़ाई है और Scale भी बढ़ाया, साथ-साथ scope भी बढ़ाया।
साथियों,
भारत की नई पीढ़ी का एक अच्छा गुण है कि वो तथ्यों के आधार पर चीजों को परखती है। और उसकी सफलता विफलता को तुलनात्मक रूप में भी एनालाइज करती है। और हर एक बात को तर्क और तथ्य के आधार पर स्वीकार करती है। भारत में गैस Based Economy को लेकर अभी जो काम हो रहा है, उसमें भी कई तर्क और तथ्य बहुत ही महत्वपूर्ण हैं।
साथियों,
हमारे देश में पहली इंटरस्टेट नैचुरल गैस पाइपलाइन साल 1987 में कमीशन हुई थी। इसके बाद साल 2014 तक, यानि 27 साल में भारत में 15 हजार किलोमीटर नैचुरल गैस पाइपलाइन बनी। आज देशभर में, पूर्व-पश्चिम-उत्तर-दक्षिण, 16 हजार किलोमीटर से ज्यादा नई गैस पाइपलाइन पर काम चल रहा है। ये काम अगले 4-6 वर्षों में पूरा होने वाला है। आप कल्पना कर सकते हैं, जितना काम 27 वर्षों में हुआ, हम उससे ज्यादा काम, उसके आधे समय में करने का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।
साथियों,
इसी तरह एक और उदाहरण है CNG स्टेशन का। हमारे देश में पहला CNG स्टेशन 1992 के आसपास शुरू हुआ था। साल 2014 तक 22 साल में, हमारे देश में CNG स्टेशनों की संख्या 900 से ज्यादा नहीं थी। जबकि पिछले 6 वर्षों में 1500 के करीब नए CNG स्टेशन शुरू हुए हैं। अब सरकार इस लक्ष्य पर काम कर रही है कि देशभर में CNG स्टेशनों की संख्या को 10 हजार तक पहुंचाया जाए। अभी जो ये पाइपलाइन कमीशन हुई है, ये भी केरला और कर्नाटका के अनेक शहरों में 700 CNG स्टेशन खोलने में मदद करेगी।
साथियों,
एक और दिलचस्प आंकड़ा है PNG कनेक्शंस का, रसोई में पाइप से जो गैस पहुंचाई जाती है, उसका। वर्ष 2014 तक हमारे देश में सिर्फ 25 लाख PNG कनेक्शन थे। आज देश में 72 लाख से ज्यादा घरों की रसोई में पाइप से गैस पहुंच रही है। कोच्ची-मेंगलुरू पाइपलाइन से 21 लाख और नए लोग PNG सुविधा का लाभ ले पाएंगे। भाइयों और बहनों, लंबे समय तक भारत में LPG कवरेज की स्थिति क्या रही, ये हम सभी जानते हैं। साल 2014 तक जहां 14 करोड़ LPG कनेक्शन देशभर में थे, वहीं बीते 6 सालों में इतने ही नए कनेक्शन और दिए गए हैं। उज्जवला योजना जैसी स्कीम से देश के 8 करोड़ से ज्यादा गरीब परिवारों के घर कुकिंग गैस तो पहुंची ही है, साथ ही इससे LPG से जुड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर भी देशभर में मज़बूत हुआ है। साथियों, ये एक बड़ी वजह रही कि कोरोना काल में देश में रसोई गैस की किल्लत कभी नहीं हुई। गरीब से गरीब को हम उस मुश्किल समय में करीब 12 करोड़ मुफ्त सिलेंडर उपलब्ध करा पाए।
साथियों,
सरकार के इन प्रयासों का, इतनी तेजी से किए जा रहे कार्यों का एक और प्रभाव हुआ है। इसकी चर्चा उतनी हो नहीं पाती। याद करिए हमारे यहां केरोसीन को लेकर कितनी लंबी-लंबी लाइनें लगा करती थीं। राज्य सरकारें, भारत सरकार को चिट्ठियां लिखती थीं, केरोसिन का कोटा बढ़ाने के लिए। केरोसिन की डिलीवरी के लिए केन्द्र और राज्य के बीच में हमेशा तनाव रहता था। आज जब रसोई के लिए गैस आसानी से मिल रही है, रसोई तक गैस आसानी से पहुंच रही है, तो केरोसीन की किल्लत भी कम हुई है। आज देश के कई राज्य और केंद्रशासित प्रदेश खुद को केरोसीन मुक्त घोषित कर चुके हैं।
Friends,
Our government believes in an integrated approach for energy planning. Our energy agenda is all-inclusive. Since 2014 we have brought in various reforms across the Oil and Gas sector. These reforms cover exploration and production, natural gas, marketing and distribution. We plan to achieve ‘One Nation One Gas Grid.’ We also want to shift to a gas-based economy. The use of natural gas has several environmental benefits. The Government is taking policy initiatives to increase the share of natural gas in India’s energy basket from 6 Percent to 15 Percent. Crores of rupees would be invested in the oil and gas sector in this decade itself. Dedication of this Kochi-Mangaluru natural gas pipeline of GAIL is part of our journey to move towards One Nation One Gas Grid. Clean energy is important for a better future. This pipeline will help improve clean energy access. Our Government is also making many efforts in other sectors. Take for example the स्वच्छ भारत movement, the efforts to increase LED bulbs or electric mobility.
साथियों,
आज कोशिश ये है कि देश को भविष्य की जरूरतों, भविष्य की Energy Needs के लिए आज से ही तैयार किया जाए। इसलिए, एक तरफ देश में नेचुरल गैस पर फोकस किया जा रहा है तो दूसरी तरफ देश अपने Energy Resources को भी Diversify कर रहा है। अभी हाल ही में गुजरात में दुनिया के सबसे बड़े Renewable Energy प्लांट का काम शुरू हुआ है। इसी तरह आज देश में ही Bio-fuels पर बहुत बड़े स्तर पर काम चल रहा है। गन्ना हो या अन्य एग्रो प्रोडक्टस हो इनसे Ethanol के निर्माण पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। अगले 10 साल में पेट्रोल में होने वाली इथेनॉल Blending को 20 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य रखा गया है। यही नहीं electric mobility से जुड़े सेक्टर को, इससे जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को भी बहुत अधिक प्रोत्साहन दिया जा रहा है। हर देशवासी को पर्याप्त, सस्ता, प्रदूषण रहित ईंधन मिले, बिजली मिले, इसके लिए हमारी सरकार पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है।
भाइयों और बहनों,
देश के संतुलित और तेज विकास की सोच हमारे Coastal Area के डेवलपमेंट को लेकर भी स्पष्ट रूप से दिखती है। केरल हो, कर्नाटका हो, साउथ इंडिया के हर राज्य में जो समंदर से सटे हैं, वहां ब्लू इकॉनॉमी के विकास के लिए एक Comprehensive Plan पर काम हो रहा है। Blue Economy आत्मनिर्भर भारत का एक बहुत बड़ा स्रोत बनने वाला है। हमारे ports हों, Coastal roads हों, इनको दूसरे माध्यमों से कनेक्ट किया जा रहा है। मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी पर हमारा विशेष फोकस है। हमारा Coastal Region, ease of Living का भी मॉडल हो रहा है। Ease of Doing Business भी बेहतरीन हो, इसी लक्ष्य के साथ काम किया जा रहा है।
भाइयों और बहनों,
समुद्री किनारे पर बसी एक बड़ी आबादी हमारे किसानों की है, हमारे मछुआरे साथियों की है। ये सभी साथी समुद्री संपदा पर निर्भर ही नहीं हैं, बल्कि इसके बहुत बड़े संरक्षक भी हैं। इसलिए पूरे Coastal Eco-system की सुरक्षा और समृद्धि बहुत ज़रूरी है। बीते सालों में इसके लिए अनेक सार्थक कदम उठाए गए हैं। मछुआरों को Deep Sea Fishing के लिए ज़रूरी मदद हो, Fisheries का अलग डिपार्टमेंट बनाना हो, मत्स्य व्यापार से जुड़े साथियों को भी सस्ते ऋण के लिए किसान क्रेडिट कार्ड देना हो, इससे सामान्य से सामान्य मछुआरे साथी को भी लाभ हो रहा है। कुछ महीने पहले देश में 20 हज़ार करोड़ रुपए की मत्स्य संपदा योजना शुरु की गई है। इसका सीधा लाभ केरल और कर्नाटका के लाखों मछुआरे साथियों को होने वाला है। आज मछली से जुड़े एक्सपोर्ट में तो हम तेज़ी से आगे बढ़ ही रहे हैं, एक क्वालिटी Processed Sea Food का हब भारत हो, इसके लिए भी हर ज़रूरी कदम उठाए जा रहे हैं। दुनिया में Sea weed की डिमांड बढ़ रही है, जिसको पूरा करने में भारत अहम भूमिका निभा सकता है। Sea Weed Farming के लिए किसानों को जितना प्रोत्साहन मिलेगा, उतना ही तेजी से इस क्षेत्र में भी हम आगे बढ़ेंगे।
हम एकजुट होकर, संकल्पित भाव से काम करेंगे, तभी हम हर राष्ट्रीय लक्ष्य को तेज़ी से हासिल कर पाएंगे। एक बार फिर कोच्चि-मेंगलुरु गैस पाइपलाइन के लिए केरला और कर्नाटका के सभी नागरिक भाइयों-बहनों को, इस काम से जुड़े सभी महानुभावों को अनेक-अनेक बधाइयां देता हूं, बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
धन्यवाद !
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Prime Minister Shri Narendra Modi dedicated Kochi – Mangaluru Natural Gas Pipeline to the Nation through a video conference today. The event marks an important milestone towards the creation of ‘One Nation One Gas Grid’. Governors and Chief Ministers of Karnataka and Kerala, along with Union Minister for Petroleum and Natural Gas were also present on the occasion.
Speaking on the occasion, the Prime Minister termed this day as an important milestone for both the people of Kerala and Karnataka as the two states are being connected by a natural gas pipeline. He said the pipeline will have a positive impact on the economic growth of these two states. He said rapid expansion of Gas based economy is a must to achieve self reliant India and cited this as the reason behind Government’s push for ‘One Nation One Gas Grid’.
While listing the advantages of the pipeline, he said that the pipeline would improve the ease of living in both the states and reduce the expenses of the poor, middle class and entrepreneurs of both the states. He said the pipeline would become the base of the Gas Distribution System in many cities and would form the base of the CNG based transport system in these cities. He said the pipeline would provide clean energy to Mangalore Refinery and would play a major role in reducing the pollution in both the states. He added the reduction of pollution will have a direct impact on the environment akin to planting millions of trees which would help in improving people’s health and reducing their health related expenditure. He said that less pollution and clean air would attract more tourists to the city. He added that construction of this pipeline has generated 1.2 million man days of employment and would develop a new ecosystem of employment and self-employment after its commissioning which would help the fertilizer, petrochemical and power sector. It will also help India in saving thousands of crores of Foreign exchange for the country.
The Prime Minister cited that experts around the world say that in the 21st century, whichever country emphasizes the most on connectivity and clean energy would reach new heights. He stressed that the pace of work in the connectivity front in the country happening now is never seen before in earlier decades. He further said in the 27 years before 2014, only a 15 thousand kilometer natural gas pipeline was built. But rightnow work is underway on more than 16 thousand kilometers of gas pipeline nationwide which will be complete in the next 5-6 years. He also cited examples of increased CNG fuel stations, PNG connections and LPG connections delivered by this Government which was never seen before. He said these increased connections have reduced the shortage of kerosene and many States and Union Territories have declared themselves kerosene free.
The Prime Minister said since 2014, the Government has brought in various reforms across the Oil and Gas sector covering exploration and production, natural gas, marketing and distribution. He announced that the Government plans to achieve ‘One Nation One Gas Grid’ and to shift to a gas-based economy as this gas has several environmental benefits. He said the Government is taking policy initiatives to increase the share of natural gas in India’s energy basket from 6 Percent to 15 Percent. “Dedication of the Kochi-Mangaluru natural gas pipeline of GAIL is part of our journey to move towards One Nation One Gas Grid. Clean energy is important for a better future. This pipeline will help improve clean energy access” said the Prime Minister
The Prime Minister said that efforts are on to prepare for the country’s future energy needs.To achieve this goal, natural gas is being focussed upon on the one hand, energy resources are being diversified on the other hand. He illustrated the point with examples of the proposed world’s biggest renewable energy plant in Gujarat and stress on biofuels. He informed the audience that sincere work is on for getting ethanol from rice and sugarcane. Goal of ethanol blending in petrol upto 20 per cent in 10 years has been set. The Prime Minister said that the Government is committed to provide every citizen affordable, pollution-free fuel and electricity.
As the Prime Minister was speaking to the two coastal states, he laid out his vision of fast and balanced coastal area development. He said that a comprehensive plan for the development of the blue economy in the coastal states like Karnataka, Kerala and other South Indian states is under implementation. He said the Blue Economy is going to be an important source of Aatamnirbhar India. Ports and coastal roads are being connected with a focus on multi-modal connectivity. We are working with an aim to turn our coastal region into a role model of ease of living and ease of doing business, said the Prime Minister.
The Prime Minister touched upon the fisherman communities in the coastal areas who are not only dependent on the ocean wealth but also are the guardian of the same. For this, the Government has taken many steps to protect and enrich the coastal ecosystem. Steps like helping fishermen with deep sea fishing, separate fisheries department, providing affordable loans and Kisan Credit Cards to the people engaged in aquaculture are helping both entrepreneurs and general fishermen.
The Prime Minister also talked of the recently launched 20 thousand crore Matasya Samapada Yojna which will directly benefit lacs of fishermen in Kerala and Karnataka. India is progressing rapidly in the fishery related exports. All steps are being taken to turn India into a quality processed sea-food hub. India can play a major role in fulfilling the growing demand of seaweed, as farmers are being encouraged for seaweed farming.
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கொச்சி – மங்களுரு குழாய்வழி இயற்கை எரிவாயுத் திட்டத்தை, பிரதமர் நரேந்திரமோதி காணொலிக்காட்சி வாயிலாக இன்று துவக்கி வைத்தார். ‘ஒரே தேசம் ஒரே எரிவாயுத் தொகுப்பு’-பை ஏற்படுத்துவதில், இந்த நிகழ்ச்சி முக்கிய மைல் கல்லாக அமையும். கர்நாடக, கேரள மாநிலங்களின் ஆளுநர்கள், முதலமைச்சர்கள்,, மத்திய பெட்ரோலியம் மற்றும் இயற்கை எரிவாயுத்துறை அமைச்சர் உள்ளிட்டோர், இந்த நிகழ்ச்சியில் கலந்துகொண்டனர்.
நிகழ்ச்சியில் பேசிய பிரதமர், குழாய்வழி இயற்கை எரிவாயுத் திட்டத்தால், கேரள, கர்நாடகா ஆகிய இரு மாநிலங்களும் இணைக்கப்படுவதன் மூலம், இந்த இரு மாநில மக்களுக்கும், இன்றைய தினம் ஒரு முக்கிய மைல் கல்லாக அமையும் என்றார். இந்த குழாய் வழி எரிவாயுத் திட்டம், இரு மாநிலங்களின் பொருளாதார வளர்ச்சியில் ஆக்கப்பூர்வமான விளைவுகளை ஏற்படுத்தும் என்றும் அவர் கூறினார். தற்சார்பு இந்தியாவை அடைவதற்கு, எரிவாயு சார்ந்த பொருளாதாரத்தை அதிவேகமாக விரிவுபடுத்துவது மிகவும் அவசியம் என்று குறிப்பிட்ட அவர், ‘ஒரே தேசம் ஒரே எரிவாயுத் தொகுப்பு‘-பை அரசு, வலியுறுத்துவதற்கு, இதுவே காரணம் என்றும் தெரிவித்தார்.
இந்த எரிவாயுக் குழாயின் சாதக அம்சங்களைப் பட்டியலிட்ட அவர், இந்த குழாய்வழி எரிவாயு இரு மாநில மக்களின் வாழ்க்கை முறையை எளிதாக்குவதோடு, இரு மாநிலங்களிலும் உள்ள ஏழை, நடுத்தர மக்கள், தொழில் முனைவோரின் செலவுகளைக் குறைக்கும் என்றார். இதுபோன்ற குழாய்வழி எரிவாயுத் திட்டம், பல நகரங்களில் எரிவாயு விநியோக முறைக்கு அடிப்படையாக அமைவதோடு, இந்த நகரங்களில் எரிவாயு (சி.என்.ஜி) மூலம் இயங்கும் போக்குவரத்துக்கும் அடித்தளமாக அமையும் என்று அவர் குறிப்பிட்டார்.
இந்த குழாய்வழி எரிவாயு, மங்களூரு எண்ணெய் சுத்திகரிப்பு ஆலைக்கு, தூய்மையான எரிசக்தியை வழங்குவதுடன், இரு மாநிலங்களிலும் காற்று மாசுபடுவதைக் குறைப்பதில் பெரும் பங்கு வகிக்கும் என்றும் அவர் கூறினார். காற்று மாசுபாட்டைக் குறைப்பது, சுற்றுச்சூழல் பராமரிப்பில் நேரடித் தாக்கத்தை ஏற்படுத்துவதோடு, லட்சக்கணக்கான மரக்கன்றுகளை நடுவதைப்போன்று, மக்களின் ஆரோக்கியத்தை மேம்படுத்தி, அவர்களது உடல்நல பராமரிப்புக்கான செலவுகளைக் குறைக்கவும் உதவும் என்று அவர் தெரிவித்தார். காற்று மாசுபாடு குறைவதும், தூய்மையான காற்று கிடைப்பதும், இந்த நகரங்களுக்கு மேலும் அதிக அளவிலான சுற்றுலாப் பயணிகளை ஈர்க்க முடியும் எனவும் அவர் குறிப்பிட்டார்.
இந்த எரிவாயுக் குழாய் அமைப்புப் பணிகள் மூலம், 1.2 மில்லியன் மனித வேலைநாட்கள் உருவாக்கப்பட்டிருப்பதோடு, வேலை வாய்ப்பிலும், சுய வேலை வாய்ப்பிலும் ஒரு புதிய சூழலை ஏற்படுத்தவும், இந்தத் திட்டம் செயல்பாட்டிற்கு வந்த பிறகு, உரத்தொழிற்சாலை, பெட்ரோகெமிக்கல் ஆலைகள் மற்றும் மின்சார உற்பத்திக்கு உதவியாக அமையும் என்றும் அவர் குறிப்பிட்டார். அத்துடன், நாட்டின் அன்னியச் செலாவணியில் ஆயிரக்கணக்கான கோடி ரூபாயை இந்தியா மிச்சப்படுத்தவும் இத்திட்டம் உதவிகரமாக இருக்கும்.
21-ம் நூற்றாண்டில் போக்குவரத்து இணைக்கும், தூய்மையான எரிசக்திக்கும் எந்த நாடு முக்கியத்துவம் அளிக்கிறதோ, அந்த நாடு புதிய உச்சத்தை எட்டும் என்று, உலகெங்கும் உள்ள நிபுணர்கள் கூறிவருவதையும் பிரதமர் சுட்டிக்காட்டினார். இதற்கு முந்தைய பல தசாப்தங்களில் இல்லாத அளவிற்கு, போக்குவரத்து இணைப்பு வசதிகள் நாட்டில் தற்போது படுவேகத்தில் மேற்கொள்ளப்படுவதாகவும் அவர் தெரிவித்தார். 2014-க்கு முந்தைய 27 ஆண்டுகாலத்தில், நாட்டில் 15ஆயிரம் கிலோ மீட்டர் தொலைவிற்கு மட்டுமே இயற்கை எரிவாயுக் குழாய்கள் அமைக்கப்பட்டதாகவும் அவர் மேலும் கூறினார். ஆனால் தற்போது 16 ஆயிரம் கிலோ மீட்டர் தொலைவுக்கு மேல் மேற்கொள்ளப்பட்டுவரும் எரிவாயுக் குழாய் அமைக்கும் பணிகள் அனைத்தும் அடுத்த 5 – 6 ஆண்டுகளுக்குள் நிறைவடையும்.
உதாரணமாக, சி.என்.ஜி. எரிவாயு விற்பனை மையங்கள், பி.என்.ஜி. இணைப்புகள் மற்றும் எல்.பி.ஜி. எனப்படும் சமையல் எரிவாயு இணைப்புகள் அதிகரிக்கப்பட்டிருப்பது, போன்ற இந்த அரசின் சாதனைகள், இதற்குமுன் அறிந்திராதது என்றும் அவர் சுட்டிக்காட்டினார். இத்தகைய இணைப்புகள் அதிகரிக்கப்பட்டிருப்பதன் வாயிலாக மண்ணெண்ணெய் பற்றாக்குறை குறைக்கப்பட்டிருப்பதோடு, பல மாநிலங்களும், யூனியன் பிரதேசங்களும், மண்ணெண்ணெய் பயன்பாடு இல்லாத மாநிலங்களாக அறிவித்துக் கொண்டிருப்பதையும் அவர் எடுத்துரைத்தார்.
2014-ம் ஆண்டு, இந்த அரசு பொறுப்பேற்றது முதற்கொண்டு, எண்ணெய் துரப்பணப் பணிகள் மற்றும் உற்பத்தி, இயற்கை எரிவாயு, சந்தைப்படுத்துதல் மற்றும் விநியோகம் என எண்ணெய், எரிவாயுத் துறைகளில் பல்வேறு சீர்திருத்தங்களை மேற்கொண்டு வருவதாகவும் பிரதமர் தெரிவித்தார்.
‘ஒரே தேசம், ஒரே எரிவாயுத் தொகுப்பு‘ என்ற நிலையை அடைவதோடு, எரிவாயுப் பயன்பாடு சுற்றுச்சூழல் ரீதியாக பல்வேறு பலன்களை அளிக்கக்கூடியது என்பதால், எரிவாயு சார்ந்த பொருளாதாரத்திற்கு மாறவும் அரசு திட்டமிட்டுள்ளதாக அவர் அறிவித்தார். இந்தியாவின் எரிசக்தி பயன்பாட்டில், இயற்கை எரிவாயுவின் பங்களிப்பை 6 சதவீதத்திலிருந்து 15 சதவீதமாக அதிகரிக்க, கொள்கை ரீதியான பல்வேறு முன்முயற்சிகளை அரசு மேற்கொண்டு வருவதாகவும் அவர் கூறினார். “கெயில் நிறுவனத்தின் கொச்சி – மங்களூரு குழாய்வழி இயற்கை எரிவாயுத் திட்டம் அர்ப்பணிக்கப்பட்டிருப்பது, ஒரே தேசம், ஒரே எரிவாயுத் தொகுப்பு என்ற குறிக்கோளை நோக்கிய பயணத்தின் ஒரு பகுதி ஆகும். வளமான எதிர்காலத்திற்கு தூய்மையான எரிசக்தி அவசியம். இந்த எரிவாயுக் குழாய், தூய்மையான எரிசக்தி கிடைப்பதை மேம்படுத்த உதவும்“ என்றும் பிரதமர் குறிப்பிட்டார்.
நாட்டின் எதிர்கால எரிசக்தித் தேவைகளுக்கான செயல்திட்டத்தை உருவாக்குவதற்கான முயற்சிகள் மேற்கொள்ளப்பட்டு வருவதாகவும் பிரதமர் தெரிவித்தார். இந்தக் குறிக்கோளை அடைய, ஒருபுறம் இயற்கை எரிவாயு பயன்பாட்டில் கவனம் செலுத்தப்படும் வேளையில், மறுபுறம் எரிசக்தி ஆதாரங்களை வகைப்படுத்தும் பணிகளும் நடைபெற்று வருகிறது. குஜராத்தில் அமைக்கப்பட்டுள்ள உலகின் மிகப்பெரிய புதுப்பிக்கத்தக்க எரிசக்தி உற்பத்தி ஆலை போன்றவற்றை இதற்கு உதாரணமாகக் குறிப்பிட்ட அவர், உயிரி எரிபொருள் பயன்பாட்டின் அவசியத்தையும் வலியுறுத்தினார்.
அரிசி மற்றும் கரும்பிலிருந்து எத்தனால் எடுப்பதற்கான பணிகள் மிகுந்த அக்கறையுடன் மேற்கொள்ளப்பட்டு வருவதாகவும் அவர் தெரிவித்தார். 10 ஆண்டுகளுக்குள், பெட்ரோலில் கலக்கப்படும் எத்தனாலின் அளவை 20 சதவீதமாக அதிகரிப்பதே நோக்கம். நாட்டிலுள்ள அனைத்துக் குடிமக்களுக்கும் குறைந்த விலையில், மாசு ஏற்படுத்தாத எரிபொருளையும், மின்சாரத்தையும் வழங்க அரசு உறுதி பூண்டுள்ளதாகவும் பிரதமர் தெரிவித்தார்.
இரண்டு கடலோர மாநிலங்களை இணைக்கும் இந்த நிகழ்ச்சியில் பேசிய பிரதமர், விரைவான அதே நேரத்தில் சீரான கடலோரப் பகுதி வளர்ச்சிக்கான தமது தொலைநோக்கு கருத்துக்களையும் எடுத்துரைத்தார். கர்நாடகா, கேரளா போன்ற கடலோர மாநிலங்களிலும், பிற தென்னிந்திய மாநிலங்களிலும் நீலப் பொருளாதாரத்தை மேம்படுத்த விரிவான திட்டம் செயல்படுத்தப்படுத்தப்பட்டு வருவதாகவும் அவர் கூறினார். தற்சார்பு இந்தியாவிற்கான முக்கிய ஆதாரமாக, நீலப் பொருளாதாரம் அமையும் என்றும் அவர் குறிப்பிட்டார். துறைமுகங்கள் மற்றும் கடலோர சாலைகளை பல்வகை போக்குவரத்து இணைப்பு கொண்டவையாக மாற்ற தீவிரம் கவனம் செலுத்தப்பட்டு வருகிறது. நம்நாட்டின் கடலோரப் பகுதிகளை, மக்களின் வாழ்ககை முறையை எளிதாக்கும் பகுதிகளாகவும், தொழில் தொடங்குவதற்கு உகந்த பகுதிகளாகவும் மாற்றும் நோக்குடன் அரசு செயல்பட்டு வருவதாகவும் பிரதமர் தெரிவித்தார்.
கடலோரப் பகுதிகளில் வசிக்கும் மீனவ சமுதாயத்தினரைப் பற்றிக் குறிப்பிட்ட பிரதமர், இவர்கள் கடல்சார் வளங்களை மட்டும் நம்பியிருப்பவர்களாக மட்டுமின்றி, கடலோரப் பகுதிகளின் பாதுகாவலர்களாகவும் திகழ்வதாகக் கூறினார். இதற்காக, கடலோர சுற்றுச்சூழலைப் பாதுகாக்கவும், மேம்படுத்தவும், அரசு, பல்வேறு நடவடிக்கைகளை மேற்கொண்டு வருகிறது.
மீனவர்கள் ஆழ்கடல் மீன்பிடிப்பை மேற்கொள்ள உதவி செய்தல், மீன் வளத்திற்கென தனித்துறை ஏற்படுத்துதல், குறைந்த வட்டியில் கடனுதவி கிடைக்கச் செய்தல் மற்றும் மீன் வளர்ப்பில் ஈடுபட்டுள்ளவர்களுக்கு கிசான் கடன் அட்டைகள் வழங்குதல் போன்ற தொழில் முனைவோர், மீனவர்கள் ஆகிய இரு தரப்பினருக்கும் உதவுவதற்கான நடவடிக்கைகளும் மேற்கொள்ளப்பட்டு வருகிறது.
அண்மையில் தொடங்கப்பட்ட, 20 ஆயிரம் கோடி ரூபாய் மதிப்பிலான மீன்வள மேம்பாட்டுத் திட்டம், கேரளா மற்றும் கர்நாடகாவில் உள்ள லட்சக்கணக்கான மீனவர்களுக்கு நேரடியாக உதவிகரமாக இருக்கும் என்றும் பிரதமர் தெரிவித்தார்.
மீன்வளம் சார்ந்த ஏற்றுமதியில் இந்தியா, வேகமாக முன்னேறி வருகிறது. தரமான முறையில் பதப்படுத்தப்பட்ட கடல் உணவு தயாரிக்கும் மண்டலமாக இந்தியாவை மாற்றத் தேவையான அனைத்து நடவடிக்கைகளும் மேற்கொள்ளப்பட்டு வருகின்றன. கடல்பாசி உற்பத்தி செய்ய விவசாயிகளை ஊக்குவித்து வருவதன் காரணமாக, அதிகரித்துவரும் கடல்பாசி தேவைகளைப் பூர்த்தி செய்வதில் இந்தியா முக்கியப் பங்கு வகிக்கும்.
இவ்வாறு பிரதமர் நரேந்திரமோதி பேசினார்.
–டாக்டர்.துரைபெஞ்சமின்.
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